Network Topology
विभिन्न प्रकार के नेटवर्क को जोड़ने की इस प्रक्रिया को हम टोपोलॉजी कहते है |
इसका उपयोग अनेक कंप्युटर नेटवर्क की समय , लागत , जटिलता ,को देखते हुए इस नेटवर्क टोपोलॉजी का निर्माण किया गया है |
जिसमे टोपोलॉजी को निम्न प्रकार से दर्शाया गया है -
- Linear or Bus Topology
- Circular or Ring Topology
- Star⭐✨ Topology
- Graph Topology
- Mesh Topology
- Completely connected Network
1. Linear Topology
इसमे एक कोऐक्सीअल केबल(Co-axial Cable) होता है जिसे बैक्बोन कहते है | जो दो टर्मिनेटर से लगा हुआ होता है |
इसी केबल मे सभी डिवाइस एक नोड की सहायता से जुड़ा हुआ होता है ओर प्रत्येक नोड(कंप्युटर) मे एक नेटवर्क इन्टरफेस कार्ड(NIC) होता है|
यह nic प्रत्येक सूचना को एक कंप्युटर डिवाइस से दूसरे कंप्युटर डिवाइस मे भेजने का कार्य करता है |प्रत्येक नेटवर्क इन्टरफेस कार्ड का एक यूनिक पता (address) होता है |
लाभ (Advantages)
- इस नेटवर्क में केबल बिछाने मे काम खर्च होता है |
- किसी एक डिवाइस का खराब हो जाने पर भी अन्य डिवाइस पर कोई प्रभाव नहीं पढ़ता है |
- यह अधिक सुविधाजनक है |
- इसमे कोई भी नेटवर्क डिवाइस को आसानी से कही भी जोड़ा जा सकता है |
- इसमें को केन्द्रीय कंप्युटर डिवाइस नहीं होता है |
सीमाएं(Limitations)
- बस की लंबाई अधिक होने पर रिपीटर का प्रयोग करना पड़ता है |
- एक बार में एक ही ट्रांसमीट हो सकता है | दो नोड्स के एक साथ पैकेट ट्रांसमीट करने पर टकराव हो सकता है |
- प्रत्येक नोड सीधा बस से जुड़ा होता है | अतः नोड्स का इटेलेंजेन्ट होना आवश्यक है |
- केबल के खराब होने पर पूरा नेटवर्क कार्य करना बंद कर सकता है |
2. Circular or Ring Topology
इसे सर्क्यलर और रिंग टोपोलॉजी दोनों कहते है |
इसमे प्रत्येक डिवाइस एक दूसरे से जुड़े होते है |इसमे कंप्युटर को जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फ़ाइबर केबल अथवा कोऐक्सीअल केबल लगता है |
यह टोपोलॉजी Clockwise Sequence मे होता है इसमे भी कोई केन्द्रीय कन्ट्रोलर डिवाइस नहीं होता है |
|इसमें एक कंप्युटर दूसरे डिवाइस से सूचना प्राप्त कर उसे पहले Emplyfy करता है
फिर उसे अपने अड्रेस (Address) मे भेजता है | अर्थात यह प्रत्येक डिवाइस एक रिपीटर के तरह भी कार्य करता है | जिसे नीचे चित्र मे समझ सकते है |
लाभ (Advantages)
- इस स्टार टोपोलॉजी की तुलना में अधिक विश्वसनीय है क्युकी कम्यूनिकेशन एक कंप्युटर पर निर्भर करता है |
- अलग से रिपीटर की आवश्यकता नहीं पड़ती है |
- इसमे डाटा कोलीजन नहीं होता है क्युकी रिंग अनेक भागों मे बँटी रहती है |
दो नोड्स के बीच एक सिंगमेंट होता है |एक सिंगमेंट में केवल एक नोड ही डाटा ट्रांसमीट कर सकता है |
सीमाएं(Limitations)
- यदि एक नोड भी ठीक से डाटा ट्रांसफर नहीं कर पाए तो पूरा नेटवर्क फेल हो सकता है |
- इसकी गति नेटवर्क में लगे कंप्युटर पर निर्भर करती है | यदि कंप्युटर कम है तो गति अधिक होती है और यदि कंप्युटर कम है तो गति अधिक होती है | और यदि कंप्युटर की संख्या अधिक है तो उसी अनुपात में गति कम हो जाती है |
- रिंग टोपोलॉजी में प्रयुक्त कम्युनिकेशन सॉफ्टवेयर स्टार टोपोलॉजी की तुलना में अधिक जटिल होता है |
3. Star Topology
स्टार टोपोलॉजी मे सभी कंप्युटर डिवाइस नोड्स के द्वारा एक केन्द्रीय डिवाइस से जुड़ा होता है |
इसमें एक नोड दूसरे नोड से कनेक्ट नहीं हो सकते है | नोड्स के बीच comunication एक केन्द्रीय कंप्युटर के द्वारा होता है | इसमे एक हब या केन्द्रीय कंप्युटर कंट्रोलर होता है |
लाभ (Advantages)
- इस टोपोलॉजी में सभी डिवाइस एक केन्द्रीय कंप्युटर या हब पर निर्भर रहता है |
- इसमे एक नोड के फैल होने से भी दूसरे नोड पर कोई प्रभाव नहीं होता है |
- इसमे कोई भी नोड बिना केन्द्रीय कंप्युटर के कार्य नहीं कर सकता है |
5.Graph or Mesh Topology
इस टोपोलॉजी में नोड्स को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए कोई विशेष संरचना काम में नहीं ली जाती है |
एक नोड किसी से भी दूसरे नोड से जुड़ा हो सकता है |एक नोड एक से अधिक नोड्स भी जुड़े हो सकते है | इस टोपोलॉजी में ,
भी आवश्यक नहीं है की सभी नोड एक-दूसरे से जुड़े हों|
6.Completely Connected Network
इस टोपोलॉजी में किसी भी नोड को किसी भी दूसरे नोड से जोड़ने के लिए एक अलग फिज़िकल लिंक होता है अर्थात सभी नोड्स सीधे किसी चैनल या कॉम्युनिकेशन मध्ययम से जुड़े होते है | प्रत्येक नोड अपना कॉम्युनिकेशन खुद संभालना है |