भारत में कंप्यूटर का इतिहास
कंप्यूटर का आगमन (1950 के दशक)
भारत में कंप्यूटर का पहला उपयोग 1955 में हुआ, जब देश में पहला डिजिटल कंप्यूटर हॉलेरिथ इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (HEC-2M) कोलकाता के इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट (ISI) में स्थापित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य गणितीय और सांख्यिकीय गणनाओं को तेज और सटीक बनाना था।
यह कंप्यूटर देश में तकनीकी विकास की नींव था। इसका उपयोग मुख्य रूप से अनुसंधान और डेटा एनालिसिस के लिए किया गया।
1960 और 1970 के दशक: तकनीकी विस्तार
1960 के दशक में, भारत में तकनीकी विस्तार तेजी से हुआ। प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
- 1966 में भारत का पहला ट्रांजिस्टर आधारित कंप्यूटर (TDC-12) विकसित किया गया।
- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) ने मेनफ्रेम कंप्यूटरों पर काम शुरू किया।
- वैज्ञानिक अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों में कंप्यूटर का उपयोग बढ़ा।
1980 के दशक: व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC) का युग
1980 का दशक भारत में व्यक्तिगत कंप्यूटरों (PC) का युग लेकर आया।
- माइक्रोप्रोसेसर आधारित कंप्यूटरों का निर्माण शुरू हुआ।
- 1984 में राजीव गांधी सरकार ने कंप्यूटर क्रांति का आरंभ किया।
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ECIL) ने हार्डवेयर निर्माण में योगदान दिया।
1990 के दशक: सूचना प्रौद्योगिकी का उदय
1990 के दशक में, भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए:
- उदारीकरण के बाद विदेशी कंपनियों का आगमन।
- सॉफ्टवेयर उद्योग का विकास।
- इंटरनेट का उपयोग और IT सेवाओं का विस्तार।
वर्तमान समय (2000 के दशक से अब तक)
आज कंप्यूटर हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- शिक्षा में स्मार्ट क्लासरूम और ई-लर्निंग।
- स्वास्थ्य सेवा, बैंकिंग, और उद्योगों में कंप्यूटर आधारित समाधान।
- डिजिटल इंडिया अभियान और e-Governance सेवाओं का विस्तार।
भारत में कंप्यूटर का भविष्य
आने वाले समय में कंप्यूटर तकनीक:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग में और उन्नति।
- रोबोटिक्स और डेटा एनालिटिक्स का व्यापक उपयोग।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटर साक्षरता बढ़ाने की पहल।