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परिभाषा
सुपरकंप्यूटर एक उच्च शक्ति और उच्च प्रदर्शनक्षमता वाला कंप्यूटर होता है जो विशेष तरीकों से विशेषता की गई है। ये कंप्यूटर बड़े और जटिल गणनात्मक, साइंटिफिक, तकनीकी, और वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को तेजी से प्रोसेस करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। ये उच्च स्तरीय डेटा क्रंचिंग, विशेष गणनात्मक मॉडेलिंग, सिमुलेशन, अध्ययन, और अनुसंधान में उपयोग होते हैं।
हैं।
परिचय
सुपरकंप्यूटर एक शक्तिशाली और उच्च प्रदर्शनक्षमता वाला कंप्यूटर होता है जिसका प्रमुख उद्देश्य बड़े और जटिल गणनात्मक, साइंटिफिक, तकनीकी, और वैज्ञानिक कार्यों को तेजी से प्रोसेस करना होता है। इन कंप्यूटरों की गति, क्षमता, और प्रदर्शन क्षमता बहुत उच्च होती है जो कि उन्हें बड़े मात्राओं में डेटा प्रोसेस करने में सक्षम बनाती है।
सुपरकंप्यूटर का उपयोग विभिन्न शास्त्रीय अनुसंधान, खगोलशास्त्र, जीवन विज्ञान, अभियांत्रिकी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, मौजूदा शास्त्र, मॉडेलिंग, सिमुलेशन, अध्ययन, और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। ये कंप्यूटर अधिकांशतः शिक्षा, अनुसंधान, और उद्योग में विशेष प्रकार की गणनात्मक प्रक्रियाओं के लिए उपयोग होते हैं जो आमतौर पर आम कंप्यूटरों से अधिक गुजरने वाले काम होते हैं।
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सुपर कंप्यूटर का आकार
सुपरकंप्यूटरों का आकार आमतौर पर बड़ा होता है और इनकी फिजिकल आकृति आवश्यकताओं के अनुसार भिन्न हो सकती है। ये कंप्यूटर बड़े प्रकार के कैबिनेट्स या रैक में रखे जा सकते हैं और कई बैंक्स के संयोजन से मिलकर बनाए जाते हैं। इनके आकार में विशेष विवरण निम्नलिखित हो सकता है:-
- फ्लोर स्थापित सुपरकंप्यूटर:- यह प्रकार के सुपरकंप्यूटर एक बड़े कक्ष में स्थापित किए जाते हैं और उन्हें अपने आवश्यकताओं के अनुसार एकत्र किया जा सकता है। इनके आकार बड़े होते हैं और ये बहुत स्थान की आवश्यकता होती है।
- रैक-माउंटेड सुपरकंप्यूटर:- इनके कैबिनेट्स या रैक के रूप में आते हैं और वे सर्वर रूम में स्थापित किए जाते हैं। ये तबादला और प्रबंधन के लिए सुविधाजनक होते हैं और आमतौर पर बड़े उद्योगिक वातावरणों में इस्तेमाल होते हैं।
- क्लास्टर सुपरकंप्यूटर:- क्लास्टर सुपरकंप्यूटर कई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई सुपरकंप्यूटरों को एकत्र करते हैं। इनके आकार उनके उद्देश्यों, संरचना के अनुसार और किसी विशेष प्रोजेक्ट की आवश्यकताओं के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
- विशेषतः डिज़ाइन किए गए सुपरकंप्यूटर- कुछ प्रोजेक्ट आवश्यकताओं के अनुसार विशेषतः डिज़ाइन किए गए सुपरकंप्यूटरों का उपयोग करते हैं, जिनमें कंप्यूटरों के आकार, कॉम्पोनेंट्स की व्यवस्था और अभियांत्रिकी विवरण विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं।
सुपर कंप्यूटर का इतिहास
सुपरकंप्यूटर का इतिहास बहुत रोमांचक और उत्कृष्ट है, जिसमें तेजी से गतिमान प्रोसेसिंग क्षमता की प्राप्ति और विकास की कहानी शामिल है। यहाँ पर सुपरकंप्यूटर के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं दी गई हैं:
- 1960s-1970s:-पहले सुपरकंप्यूटर तब डिज़ाइन किए गए थे जब वैज्ञानिक और अनुसंधान कार्यों के लिए बड़े गणनात्मक प्रोसेसिंग की आवश्यकता होती थी। इस समय कंप्यूटर विकास में स्पेशल प्रोसेसिंग यूनिट्स, विशेष प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, और उन्हें ठंडा रखने के लिए विशेष तंतु बनाए गए।
- 1980s:-1980 में "Cray-1" नामक पहला सुपरकंप्यूटर तैयार किया गया था, जिसने गैराफिक्स और वैज्ञानिक काम के लिए गणनात्मक प्रोसेसिंग की क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि की।
- 1990s:-इस दशक में सुपरकंप्यूटरों की गति और क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई और ये और भी सामान्य हो गए। बहुत सारे शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों में इनका प्रयोग होने लगा।
- 2000s:-सुपरकंप्यूटर विकसित करने वाले कंपनियों के पास अधिक संसाधन और तकनीकी ज्ञान होने से इस दशक में सुपरकंप्यूटरों की तेजी बढ़ी। कुछ सुपरकंप्यूटर स्वरूप में आने वाले "क्लास्टर सुपरकंप्यूटर" तैयार किए गए जिनमें कई छोटे-छोटे कंप्यूटर का समूह बनाया गया था जो बड़े कार्यों को सम्भाल सकते थे।
- 2010s-2020s:-आजकल के समय में सुपरकंप्यूटरों की क्षमता और गति में और भी वृद्धि हुई है। ये कंप्यूटर विशेषता से डिज़ाइन किए गए हैं और उनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है, जैसे कि विज्ञान, खगोलशास्त्र, जीवन विज्ञान, और तकनीकी अनुसंधान में।
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सुपर कंप्यूटर के प्रकार
सुपरकंप्यूटर के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो उनके उद्देश्य और काम क्षमताओं के आधार पर विभाजित होते हैं। यहाँ पर कुछ प्रमुख सुपरकंप्यूटर के प्रकार दिए गए हैं:
सुपर कंप्यूटर का उपयोग
सुपरकंप्यूटर का उपयोग विभिन्न विशेषताओं वाले कार्यों में किया जाता है जो आमतौर पर आम कंप्यूटरों से कहीं ज्यादा मात्रा में डेटा प्रोसेस करने या विशेष कार्यों को पूरा करने की आवश्यकता होती है। यहाँ कुछ क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है जिनमें सुपरकंप्यूटरों का उपयोग किया जाता है:-
- वैज्ञानिक अनुसंधान:-सुपरकंप्यूटर विशेष गणनात्मक प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए उपयोग होते हैं, जैसे कि खगोलशास्त्र, जीवन विज्ञान, भूगोल, और रसायन विज्ञान में। इनमें विशेष गणनाओं, मॉडेलिंग, सिमुलेशन और विश्लेषण के लिए सुपरकंप्यूटर का उपयोग होता है।
- जलवायु मॉडेलिंग:-जलवायु मॉडेलिंग में सुपरकंप्यूटर का उपयोग भूगोलीय प्रक्रियाओं की सिमुलेशन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।
- न्यूक्लियर सिमुलेशन:-सुपरकंप्यूटरों का उपयोग न्यूक्लियर प्रयोगशालाओं में न्यूक्लियर सिमुलेशन और रिसर्च के लिए किया जाता है।
सुपर कंप्यूटर के लाभ
- विशेष गणनात्मक क्षमता: सुपरकंप्यूटरों की अत्यधिक क्षमता के कारण, बड़े और जटिल गणनात्मक कार्यों को तेजी से पूरा कर सकते हैं, जिनमें बहुत अधिक मात्रा में डेटा प्रोसेस करने की आवश्यकता होती है।
- मॉडेलिंग और सिमुलेशन: सुपरकंप्यूटर का उपयोग मॉडेलिंग और सिमुलेशन के लिए होता है, जिससे विशेष अध्ययन और प्रयोग किए जा सकते हैं, जैसे कि विज्ञानिक अनुसंधान, खगोलशास्त्र, जीवन विज्ञान, और अभियांत्रिकी।
- विशिष्ट तकनीकी काम जैसे कि अभियांत्रिकी डिज़ाइन, विज्ञानिक मॉडेलिंग, और सिमुलेशन
- मैक्रोकंप्यूटर विशेष पेशेवर कामों में उपयोग होते हैं, जैसे कि विशिष्ट कार्यों, विशेषज्ञता, और उद्योगों के लिए।
- नए अवसर: सुपरकंप्यूटर के उपयोग से नए और अधिक तकनीकी अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में नए उपायों और समाधानों की सीमाएँ खोल सकते हैं।
सुपर कंप्यूटर के नुकसान
- महंगाई: सुपरकंप्यूटर की निर्माण और परिचायन में बड़ी खर्चात की आवश्यकता होती है, जो कि सामान्य संगणकों की तुलना में अधिक होती है। इसके साथ ही उनकी श्रेणी की मात्रा भी उच्च होती है, जिससे उनकी अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती है।
- मूल्य: सुपरकंप्यूटर बनाने और चलाने के लिए बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता होती है, जो उन्हें महंगे बनाता है। इसके अलावा, उनके अद्यतन और अनुरक्षण की लागत भी उच्च होती है।
- ऊर्जा खपत: सुपरकंप्यूटर बहुत अधिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं, जिससे उनकी चलने की लागत और पर्यावरण पर असर हो सकता है।
- तकनीकी जटिलता: सुपरकंप्यूटरों को बनाने, चलाने और उनके साथ काम करने के लिए विशेष तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जो उनकी तकनीकी जटिलता को बढ़ा सकता है।
- बड़े स्थान की आवश्यकता: सुपरकंप्यूटरों के बड़े स्थान की आवश्यकता होती है, जिसके कारण उन्हें स्थापित करने में समस्याएँ हो सकती हैं।
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